2 किलोवाट सोलर पैनल से क्या क्या चला सकते है दोस्तों ये एक कामन प्रॉब्लम है। ये कामन क्वेश्चन है जो कि सोलर लगाने वाला हर एक इंसान सोचता है। हर एक इंसान के दिमाग में आता है, लेकिन इसका सही सलूशन कोई नहीं दे पाता। इवन जो सोलर लगाने वाली जो टीम है वो भी आपको यही बोलेंगे की सर दो किलोवॉट का अगर आप सोलर लगाओगे।
तो आप दो किलोवॉट का लोड चला सकते हो मैक्सिमॅम लोगों को सच्चाई नहीं पता है की सोलर को कैसे लगाना चाहिए। वो सोलर का कैलकुलेशन भी नॉर्मल इन्वर्टर की तरह कर देते है। जैसे की नॉर्मल इन्वर्टर जो होता है वो अपने कैपेसिटी के हिसाब से आउटपुट देता है। सोलर वैसे नहीं देता है। जी हाँ, दोस्तों सोलर वैसे आउटपुट नहीं देता है।
तो कैसे देता है दो किलोवॉट पे? आपको क्या लोड डालना चाहिए? हर चीज़ की जानकारी आपको मिलेंगे। मेरे इस वीडियो में पहले दोस्तों मेरा नाम है गौरव और मैं आप सबका स्वागत करता हूँ। मेरी चैनल सोलर दुनिया में दोस्तों मैंने बहुत सारी वीडियो बनाई है। इस चीज़ के ऊपर की आप कौन सा लोड डालोगे, कितना प्राइस लगेगा और आप इन्स्टॉलेशन कैसे कर सकते हो?
एक किलोवॉट, दो किलो वॉट तीन किलो वॉट इन तीनों चीरों के ऊपर मैंने अलग अलग से वीडियो बनाई है जो की 10 वीडियो का सीरीज है। अगर आप वो देखना चाहते हैं तो नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दे दूंगा। आप देख सकते हैं पूरे सीरीज को देखिए और मेरे चैनल को सब्सक्राइब जरूर कीजिए क्योंकि इस तरह की बेहतरीन वीडियो मैं आपके लिए लगातार लाता रहूँगा। तो चलिए दोस्तों अब बात करते हैं कि दो किलो वॉट का जो सोलर है वो आप अगर इन्स्टॉल करते हैं।
तो उस पे अक्चवल में आप क्या क्या लोड चला सकते हैं? क्या वाकई में उस सोलर से आप चौबीसों घंटे अपने इस लोड को चला पाते हैं कि नहीं? जी हाँ दोस्तों। इसके लिए सबसे पहले आपको एक कामन सी चीज़ समझनी पड़ेगी वो है आपका लोड जी, आपके पास जो घर पे लोड है, जो आपके ऐप्लियंसेज़ हैं वो किस किस तरह के होते हैं और वो कितना लोड लेते हैं।
और कौन से ऐसे ऐप्लियंसेज़ हैं जो आप मिस कर जाते हैं? उस कैलकुलेशन में करना? तो चलिए झटपट देखते हैं की वो कौन कौन से लोड होते हैं।
तो दोस्तों ये झटपट देख लेते हैं कि हमारे हॉउस के कौन कौन से लोड होते हैं। नॉर्मल्ली जैसे हमारे घर में पंखा होता है वो का होता है जो नॉर्मल बल्ब होता है। एल इ डी बल्ब वो 10 वाट का होता है। ट्यूब लाइट दो तरीके के होते हैं जो अभी एल इ डी वाला आ रहा है। वो 20 वाट का है। नॉर्मल वाला जो आता है वो 40 का आता है। रेफ्रीजिरेटर जो है एवरेज में लेके चल रहा हूँ 200 वाट का।
जो है मैं एवरेज लेकर चल रहा हूँ। डेढ़ 100 वाट का और कंप्यूटर है आपका 100 वाट के आस पास हम वो लेके चल रहे है और जो मिक्सर ग्राइंडर होता है वो 1000 वाट का होता है। उसी के अलावा बहुत सारे हिडन लोड्स होते है जो आपको पता नहीं रहता या आप कैलकुलेट नहीं कर पाते। जैसे की मोबाइल चार्जर है जो करीब करीब सात वाट लेता है, ऑल आउट मशीन है जो हर रूम में लगा रहता है, वो 10 वाट लेता है और सी सी टी वि कैमरा भी बहुत लोग कैलकुलेट नहीं करते जो 100 वाट लेता है।
तो इसलिए मैं मोटा, मोटी इन सब को कैलकुलेट करके एक एवरेज जो है, हमें डेढ़ 100 वाट का अडिशनल लोड मान के चलता हूँ। इसके अलावा हेवी लोड होते हैं जैसे कि आइरन हो गया। ये 1000 वाट का है। इसके अलावा आप देखेंगे प्रिंटर हो गया कभी कभी लोग प्रिंटर चलाते हैं वो 1200 वाट का होता है। ए सी हो गया ए सी को आप यहाँ पे हम जो है अलग अलग तरीके का ए सी होता है इन्वर्टर ए सी का हम कैलकुलेशन लेके चलते हैं नॉर्मल्ली अभी मैं नॉर्मल ए सी का ले रहा हूँ 2000 वॉट और उसके अलावा मोटर है। मोटर की बात आपको बताऊँ तो
क्या होता है? चालू होने के वक्त ढ़ाई गुना पावर लेता है वो नेक्स्ट स्लाइड में बताऊँगा तो ये एक हेच पी का मोटर? हम मान के चलते हैं करीब करीब ये जो है साढ़े 700 वाट लेता है तो दोस्तों जैसे कि मैंने आपको बताया कि ढ़ाई गुना ज्यादा कैपेसिटी का इन्वर्टर लेना पड़ेगा। अगर मोटर लगाते हैं तो ढ़ाई गुना ज्यादा पावर कैपेसिटी का आपको इन्वर्टर लेना होगा।
तो दोस्तों आपने देखा की आपकी जो घर के लोड होते हैं वो इस तरह से डिफरेंट वेरायटी के होते हैं। दो किलोवॉट का अगर लोड आप लगाना चाह रहे हैं तो मैं ये रेकमेंडेड करूँगा कि अगर आप अपने बाकी ऐप्लियंसेज़ को चला रहे हैं तो ए सी को उसमें टॅच ना करें। अगर आप ए सी को लाना चाहते हैं बीच में आपके पास इन्वर्टर ए सी है तो आप तीन किलोवॉट के ऑप्शन पे जाइए। अगर आप दो किलोवॉट से ए सी का आउटपुट चाहते हैं बिल्कुल आप ए सी का आउटपुट निकाल पाओगे लेकिन
आपका जो सोलर है वो सोलर उतना कापेबल नहीं होगा कि वो आपके बाकी ऐप्लियंसेज़ को भी चला दे।
और ए सी को भी चला दे चला सकते हो। नो डाउट आपका अगर इन्वर्टर ए सी है वो इनीशियली ठंडा करने के लिए 1500 से 2000 वाट ले रहा है और बाद में वो 400, 500 वाट पे आके गिर जाता है तो भी अब चला सकते हो लेकिन बाकी ऐप्लियंसेज़ को फिर आप कब चलाओगे? फिर आप बेक अप बैटरी कब जेनेरेट करोगे क्योंकि सोलर पावर जो दो किलोवॉट का सोलर पावर है उसकी कैपेसिटी सात से आठ यूनिट की है। पर डे की
आप इतना जो लोड लगा रहे हो, इतना जो लोड डाल रहे हो उसके ऊपर उतना आप आउटपुट कहाँ से लोग ये प्रोडक्शन आपका उतना है ही नहीं। आपको फिर ग्रेड से बिजली लेना पड़ेगा। इसलिए दोस्तों मैं यही रेकमेंडेड करूँगा कि जो हेवी लोड्स होते हैं उनको दो किलोवॉट के सिस्टम से साइड ही रखें अगर आप हेवी एप्लायंस से चलाना चाहते हैं।
तो मैं बार बार आपसे रिक्वेस्ट करूँगा कि तीन किलोवॉट के ऊपर के सिस्टम में जाए। तीन किलोवॉट पे भी आप बहुत लिमिटेड टाइम के लिए चला पाएंगे या उसके ऊपर जाए। या तो आप अपने बाकी लोड्स को कम कीजिए तब आप ए सी को यूज़ कीजिए लेकिन दो किलोवॉट के सिस्टम पे मैं ये रेकमेंडेड करूँगा कि आप ए सी को ना चलाएं। चलाना चाहते हैं आपकी मर्जी आप?
सिस्टम पे मैं ये रेकमेंडेड करूँगा कि आप ए सी को ना चलाएं, चलाना चाहते हैं आपकी मर्जी आप चला सकते हैं, बाकी लोगों को बिल्कुल लो कर दीजिए एक किलोवॉट में तो मैं कभी नहीं बोलता क्या पी सी चलाइए? लेकिन दो किलोवॉट में अगर आपको यूज़ करना है कभी कभार वॅन्स इन ए वाइल आप यूज़ कर सकते हैं। बाकी लोड को उस दिन आपको कम चलाना पड़ेगा या तो फिर आपको बिजली यूज़ करनी पड़ेगी। तो चलिए दोस्तों अब देखते हैं।
की आपके दो किलो वॉट के सिस्टम में क्या क्या लोड चल सकता है उससे पहले मैं आपको ये बता देता हूँ। बहुत लोग ऐसे होते हैं जो कि अपने दो बैटरी के सिस्टम पे दो किलोवॉट का सिस्टम लगाना चाहते हैं। पी डब्ल्यू एम बी एस चार्ज कंट्रोलर अगर आप लगाते हैं तब 200 में हाथ जोड़ूंगा कि प्लीज़ प्लीज़ हेवी लोड मत चलाइए क्योंकि पी डब्ल्यू एम में स्टार्ट कंट्रोलर अगर आप लगा रहे हैं
और आप दो किलोवॉट का पैनल लगा रहे हैं तो वैसे ही उसका 20% गिर जाता है। उसका आउटपुट 20% वैसे ही खत्म हो जाता है। फिर वो बनाएगा क्या और आपको देगा क्या? इसलिए अगर आप एम पी पी टी चार्ज कंट्रोल लगाते हैं तो 1% आप सोच भी सकते हैं। हेवी ऐप्लियंसेज़ के लिए अदर्वाइज़ दो किलोवॉट पे। आप बेसिक नेसेसिटी वाली चीजें जो भी हैं,
इवन आपको मोटर चलाना, मोटर चलाव कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन हेवी एप्लायंस में अगर दो किलोवॉट आप यूज़ कर रहे हैं तो दो किलोवॉट के लिए आप बहुत ही लिमिटेड टाइम पे अपने हेवी ऐप्लियंसेज़ चलाईए। बाकी नॉर्मल ऐप्लियंसेज़ आप चला सकते हैं। तो चलिए झटपट से चल के देख लेते हैं की दो किलोवॉट के सोलर पे आप क्या क्या सिस्टम लगा सकते हैं और उसका कैलकुलेशन क्या होता है?
तो आइए दोस्तों सबसे पहले हम बात करते हैं कि दो किलोवॉट के सिस्टम पे हम क्या क्या लोड चला सकते हैं तो ये पूरा कैलकुलेशन करके देखते हैं कि क्या कैलकुलेशन बनता है? तो सबसे पहले आपको ये जानना जरूरी है कि आपका जो इन्वर्टर है वो आता है वि ए में तो आप यहाँ लेफ्ट साइड में देख सकते हैं। अलग अलग वि ए के इनवर्टर पे आप कितना कितना लो डाल सकते हैं। मोटा मोटी यहाँ पे उसका ब्यौरा है।
पॉइंट एयठ के वि ए का मतलब है 800 बी ए का इन्वर्टर उसी तरीके से वि ए बढ़ता रहेगा। आप देख सकते हैं उसी हिसाब से यहाँ पे आप कैलकुलेट कर सकते हैं या लोड भी बढ़ रहा है। यहाँ ये बल्ब है, फैन है, टी वि है, आपका कंप्यूटर है, फ्रिज है, डीप फ्रीजर है। ए सी है तो कितने के सिस्टम में क्या चीज़ लगाना चाहिए ये यहाँ पे रिकमेन्डेशन है? अब अगर हम बात करते हैं दो किलोवॉट इन्वर्टर की तो दोस्तों दो किलोवॉट। इन्वर्टर का मतलब ये हो गया
कि आप जब उस पे लोड डालते हैं ये देखिए घर का लोड है और यहाँ पे बाटेज लिखा हुआ है। आपको ऐडिया लग जाएगा कि कौन सा लोड मोटा मोटी क्या वाट लेता है। तो अगर हम लोड की बात करते हैं तो दो किलोवॉट का जो इन्वर्टर है, नो डाउट वो जो है दो किलोवॉट तक का लोड उठा सकता है। अगर ये दो किलोवॉट का है तो मैक्सिमॅम इसी पे आप 80% का ही लोड डाले उससे ज्यादा नहीं डाले।
तो अगर उस हिसाब से कैलकुलेशन करते हैं तो 1600 वाट यानी की अगर आप दो किलो वॉट का इन्वर्टर लगा रहे हैं अपने यहाँ सिस्टम में तो 1600 वाट तक का ही आप उस पर लोड डाले उससे ऊपर का लोड आप उससे कनेक्ट ना करें। इससे क्या होगा? आपको आने वाले टाइम में प्रोब्लम्स नहीं आएँगी।
दो किलोवॉट है तो मोटा मोटी मान के चलिए उसका 80% अगर हम लोड की बात कर रहे है जैसा मैंने भी आपको बोला तो 1600 वाट हम मान के चलते ही ये रनिंग लोड है। एनी टाइम ये 1600 वाट रनिंग लोड चलेगा देखिये मैंने इन्वर्टर पे मैक्सिमॅम लोड की बात की थी। अभी सोलर का कैलकुलेशन हो रहा है, वो अलग है तो आप यहाँ देखिए, टोटल रनिंग लोड है। अगर 1600 वाट का और 10 घंटे तक लगातार आप 1600 वाट चलाते है तो देखिए क्या कैलकुलेशन बनता है।
जो एनर्जी हम कॅस्यूम करते हैं, जो आपका यूनिट के हिसाब से बिल आता है। नॉर्मल्ली वो क्या होता है व्हाट इनटू अवर होता है मतलब जितना व्हाट आप यूज़ कर रहे हैं प्लस कितने घंटे आप यूज़ किए तो मान लीजिए 1600 वाट आप लगातार 10 घंटे तक चला रहे हैं तो 1600 इनटू 10 यानी की 16,000 वाट अवर।
16 किलोवॉट आवर ठीक है। ये 16,016 किलोवॉट आवर हो गया और एक किलोवॉट एक यूनिट होता है। ठीक है तो यहाँ पे अक्चवल में आप अगर पूरा फुल लोड 10 घंटे तक चला रहे हैं, अब आप देखिए।
आप बोलेंगे 10 घंटे फुल तो हम चलाएंगे नहीं, लेकिन पूरे दिन में 24 घंटा होता है। मैंने इसको डिवाइड किया आप कभी चला रहे हो कभी नहीं चला रहे हो। उस हिसाब से तो 1600 वाट अगर 10 घंटे तक चलाते हो तो मोटा मोटी आप 16 यूनिट कॅस्यूम करते हो और दोस्तों यही फिगर मोटा मोटी आता है। अगर आप कम चला रहे हैं, ज्यादा चला रहे हैं उस बेसिस पे पूरे दिन का अगर आप फिगर निकालते हैं तो तो मैं ये मान के चलता हूँ कि 16 यूनिट आप कॅस्यूम कर रहे हैं।
लेकिन दोस्तों जब हम बात करते हैं यूनिट प्रोडक्शन की तो दो किलोवॉट का जो सोलर पैनल होता है, हम देख सकते हैं कि उसके अंदर जो एवरेज यूनिट पर डे का प्रोडक्शन होता है वो होता है 7 टु 9 यूनिट पर डे का पूरे साल का। अगर आप प्रोडक्शन देखते हैं, पूरे साल के प्रोडक्शन को आप एवरेज निकालते हैं। 300 पैसठ से तो 7 टु 9 यूनिट पर डे का प्रोडक्शन आपके सामने आता है दो किलोवॉट के सिस्टम का।
अब हम देखते हैं दोस्तों की टोटल रनिंग लोड। अगर हम 1600 की जगह 700 वाट करते हैं, 700 वाट और उसको 10 घंटे तक चलाते हैं तो आप देख सकते हैं उसी फ़ॉर्मूला के हिसाब से व्हाट इनटू आवर करते हैं तो 700 वाट रेगुलर आप चला रहे हैं 10 घंटे।
तो वो सात किलोवॉट आवर होता है। यानी कि सात यूनिट होता है तो सात यूनिट।
अगर आप कॅस्यूम कर रहे हैं यानी कि आप 700 वाट अगर यूज़ कर रहे हैं लोड और ये जो सोलर का प्रोडक्शन है तो 7 टु 9 यूनिट पर डे का प्रोडक्शन है। सोलर का तो ये परफेक्ट है आपके लिए ये परफेक्ट है। तो आइए दोस्तों अब हमें केस स्टडी लेते हैं। दो किलोवॉट के सोलर का की आप किस लोड पे कैसे इसको चला सकते हैं?
मान लीजिए ये एक लोड का चार्ट पेपर है, इसके अंदर अलग अलग हमने यहाँ पे दिया हुआ है, लोड है, मान लीजिए फन है, एल इ डी बल्ब है, एल इ डी ट्यूब लाइट है, कंप्यूटर है, टेलीविज़न है, रेफ्रीजिरेटर है, मोटर है और डेटन का ए सी है। देखिए ये वो लोड है जो आपके घर में होता है और आप चाहते है की आपका जो भी सिस्टम है वो इन लोडों को चलाये, जो अक्चवल में होता है तो दो किलोवॉट के सोलर पे मैं कभी रेकमेंडेड नहीं करूँगा की आप इन्वर्टर ए सी लगाए
आपको अगर ए सी लगाना है आप दो के ऊपर ही जाए। 345 ऐसे सिस्टम में जाए इसके लिए अलग से वीडियो बना है। वो भी देख सकते हैं। मेरा तो यहाँ पे आप देख सकते हैं मान लीजिए कि आपने चार फन लगाया है। उनका 80 वाट है एक फन का तो टोटल वाट इस ये कॅस्यूम हो रहा है और टाइम इन रनिंग अवर यहाँ पे टाइम दिया हुआ है कि मान लीजिए 15 घंटे आप लगातार उसको चला रहे हैं तो इतना यूनिट कॅस्यूम हो रहा है उसी तरीके से एल इ डी बल्ब का है। पांच
एल इ डी बल्ब है 10 वाट का तो उसको 10 घंटे अगर चला रहे हैं तो इतना यूनिट कॅस्यूम हो रहा है।
हाँ, एल इ डी ट्यूब लाइट का है, कंप्यूटर का है की आप एक कंप्यूटर को 2 घंटे चला रहे है टेलीविज़न है। एक टेलीविज़न को आप 12 घंटे चला रहे है रेफ्रीजिरेटर है जीसको चौबीसों घंटे चलाना है वहाँ आप कोई रोक टोक नहीं कर सकते। मोटर आपको यूज़ करना ही पड़ता है तो आधे घंटे हम मोटर को चला रहे है और कभी कमर इमरजेंसी में आपको चलाना है तो मान के चलिए की डेढ़ टन का आप ए सी चला रहे है। जीसको मैं रिकमेंडेड नहीं करता हूँ डालने के लिए, लेकिन मान लीजिये एक घंटा वो भी चला रहे है तो आप देख सकते है यहाँ पे टोटल जो यूनिट यूटिलाइज़ेशन हुआ है वो का। हुआ है।
घंटे चलना है, मोटर भी आपको आधे घंटे चलाना है और मैंने वाटर ए
आप यूज़िंग मत कीजिए इसमें आप ए सी चलाइए ही मत। उस हिसाब से अगर आप बचा बचा के चलेंगे और होशियारी से अगर चलेंगे तो आपको मिलेगा टोटल इतना यूनिट जो आपका कॅस्यूम होगा। अगर आप इससे ज्यादा यूसेस करते हैं तो आपको हैयर सिस्टम पे जाना पड़ेगा। लेकिन अगर दो किलोवॉट के सोलर का आप कैलकुलेशन कर रहे हैं।
तो आप देख सकते हैं कि इतने यूसेस पे आपको ये यूसेस ऐसा नहीं है कि आप सात ही घंटे चला रहे हैं आप अगर फन को 1 घंटे चला, 1 घंटे नहीं चलाए तो ये एक तरीके से 14 घंटे तक आप चला रहे हो। उस तरीके के साथ कैलकुलेट कर सकते हो तो अब आप देख सकते हो आपका प्रोडक्शन 7 टु 9 यूनिट पर डे है और ये ऐसा है तो करीब करीब मान के चलिए कि ये जो है आपका वर्ग कट जाएगा।
तो दोस्तों 100% सोलर पे चलाने के लिए मैंने जैसे पिछले स्लाइड में आपको बताया की साढ़े आठ यूनिट आप अपने लोड से यूज़ कर रहे हैं तो अगर हम उसको 24 घंटे में डिवाइड करते हैं तो 360 वार्ड का लोड आता है। अगर इस यूनिट को आप यूटिलाइज़ कर रहे हैं और चौबीसों घंटे आपको चलाना है, चौबीसों घंटे अगर बचा बचा के नहीं चलाना चाहते हैं तब तो आप 360 वार्ड का लोट लगाइए तो चौबीसों घंटे आप यूज़ कर पाएंगे। बाकी
का टाइम जब अंधेरा हो जाएगा बाकी का टाइम आपका बैटरी बैकअप देगा। आपका बैटरी उस बैकअप लायक होना चाहिए।
लेकिन अगर आप बोलते हैं कि नहीं 360 वार्ड हम चौबीसों घंटे नहीं चला रहे हैं, हमें जो है मतलब कभी चलाना है, कभी नहीं चलाना है या फिर मेरे इतने लोड में काम नहीं होगा तब मैं कहूंगा 720 वॉट का लोड 12 घंटा लगातार आप चला सकते हैं इस सिस्टम पे दो किलोवॉट के। अब आप हो सकता है कि कभी 400 चला रहे हैं, कभी 800 चला रहे हैं, कभी 300 चला रहे हैं। उस हिसाब से जब आप इसको डिवाइड करेंगे पूरे दिन में तो आप यूटिलाइज़ कर पाएंगे। तो ओवरआल मेरा कहने का मतलब ये है कि जो
आप कर रहे हैं आप वही यूज़ कर सकते हैं। बची हुई बिजली जो है आपको ग्रिड से यूज़ करनी पड़ेगी तो दोस्तों मेरा फाइनल कंक्लूषन ये निकलता है कि जो सोलर आप यूज़ कर रहे हैं वो डिपेंड करेगा। आपके सोलर प्लेट के प्रोडक्शन पे प्रोडक्शन मैंने आपको बता दिया है कि दो किलो वॉट का सिस्टम क्या प्रोडक्शन करेगा। आप उस बेसिस पे डिसैड कर सकते हैं कि आपको क्या लोड चलाना है। अगर आप
उस बेसिस पे नहीं, वर्कआउट।
तो और आप चाहते हैं कि जो लोड आप चलाना चाहते हैं उसको आप कंप्लीट्ली 100% सोलर पे यूज़ करना चाहते हैं तो जीतने स्ट्रेंथ का आप लोड यूज़ कर रहे हैं। कम से कम मिनिमम उसका डबल स्ट्रेंथ का आपको सोलर लगाना पड़ेगा। अगर आप वो नहीं लगाते हैं तो आप वो एक्सपेक्ट नहीं कर पाएंगे। तो दोस्तों ये था मेरा फाइनल कॉन्क्लूज़न दो किलोवॉट सोलर कैलकुलेशन?
ऊपर बस तो आई होप आपको सब कुछ समझ में आ गया होगा की दो किलो वाट का जो कैलकुलेशन है वो किस हिसाब से होता है? याद रखियेगा एम पी पी टी चार्ज कंट्रोलर अगर आप लगाते है या फिर पी सी यु लगाते है या एम पी पी टी बेस्ड आप जो है, कोई इन्वर्टर लगाते है तब तो आप
बेटर परफॉरमेंस मिलेगा अगर आप पी डब्ल्यू पे जाते।
SPK_1
या एम पी पी टी बेस्ड? आप जो है, कोई इन्वर्टर लगाते हैं तब तो आपको बेटर परफॉरमेंस मिलेगा? अगर आप पी डब्ल्यू एम पे जाते हैं तो फिर आपका जो है परफॉरमेंस नीचे गिरेगा वो एस गुड एस दो बैटरी का सिस्टम हो जाएगा। इससे बढ़िया है कि आप नॉर्मल सोलर इन्वर्टर लो और उसको कनेक्ट कराओ। आप एम पी पी टी पे जाओगे तब हैयर वर्शन पे जाओ अदर्वाइज़ जो है पी डब्ल्यू एम पे आप बेसिक वर्शन पे ही रह जाओ।
अब बेसिक लोड ही चला पाओगे। दो किलोवॉट सिस्टम के लिए मैं हमेशा रिकमेंडेड करूँगा की घर के नॉर्मल लोड्स को आप दीजिए हेवी लोड जो होता है उसको अगर आप देना चाहते हैं तो आप जो है अप्पर वर्शन पे जाइए। आई होप दोस्तों आपको ये वीडियो पसंद आया होगा मेरा? एक किलोवॉट तीन किलो वॉट?